भारत का सबसे बड़ा धंधा क्या है?इस सवाल को देखकर मुझे एक ऐसा धंधा याद आया जो आजकल हम अपने देश में चारों हर दो चार महीने में देखते हैं— वोट के लालच में जनता को मुफ्त की वस्तुएं बांटने की प्रतियोगिता—-जी हाँ मैं चुनाव के समय विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा जनता को लुभाने के लिए डाला गया हरा हरा चारा की बात कह रहीं हूं जो आजकल भारत में सबसे बड़ा धंधा बन गया है—***सर्वोत्तम न्यायपालिका ( सुप्रीम कोर्ट) से विनम्र निवेदन🙏 ****—आजकल चुनाव आते ही चारों ओर शोर सुनाए देते हैं…📣📣📣📣तुम हमें वोट दो 👍, हम तुम्हेंलैपटॉप देंगे 💻साइकिल देंगे🚲स्कूटी देंगे🛵मुफ्त की बिजली देंगे 📈कर्जा माफ़ कर देंगे ….₹₹….ये देंगे वो देंगे …..क्या ये खुल्लमखुल्ला रिश्वत नहीं है ?🤔क्या इससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित नहीं बाधित नहीं होती ?🤔क्या इन सबसे निष्पक्ष चुनाव परिणाम मिल सकते हैं?🤔क्या सच में हमारे देश में कोई चुनाव आयोग है?🤔क्या चुनाव आयोग की कोई गाइड लाइंस है या नहीं?🤔क्या राजनैतिक दल वोट के लिए कुछ भी प्रलोभन दे सकते हैं?🤔ये जनता की गाढी कमाई का पैसा है …इसकी जवाबदेही होनी चाहिए,रोक दीजिए वर्ना बंद कीजिए ये चुनाव के नाटक…और मतदान…हम मध्यमवर्गीय तंग आ गए हैं, क्या हम इन सबके लिए टैक्स चुकाते हैं?🙄डिफाल्टर की कर्ज माफ़ी..मुफ्त की स्कूटी..मुफ्त की बिजली.. मुफ्त का घरदो रुपये किलो गेंहू, .. एक रुपये ये किलो चावल.., चार किलो दाल ….कोई तो मुफ्त की दारू 🍺की बात भी करता है..😤और कितना चुसोगे टैक्स दाताओं को? 😤😤गरीब लोग थोक में अच्छा वोट बैंक है.. इसलिएमुफ्त का खाना🍛, घर🏡, बिजली 🏙️, कर्जा दिए जा रहे हैं..🙄लेकिन बाकी लोग किस बात की सजा भोगें?🙊जबकि हमारे टैक्स से सर्वज़नहिताय काम होना चाहिए…🤘देश के विकास का काम हों ..रेल मार्ग बने, सड़कें, पुल हों..रोजगारोन्मुखी कारखाने लगाए जाएं…विकास की फसल लहलहाती हों…तो सभी को टैक्स देना अच्छा लगेगा…लेकिन राजनैतिक दल जो जनता को मुफ्त देने की घोषणा📣 करते हैं ….यानि आप लोग तो जनता के एक बड़े हिस्से को हमेशा के लिए गरीब रखना चाहते हो।उसके लिए रोजगार सृजन का अनुकूल वातावरण बनाने के स्थान पर तथाकथित सोशल वेलफेयर की खैराती योजनाओं के माध्यम से अपना अनवरत, अक्षुण्ण वोट बैंक स्थापित करना चाहते हो। 😤😤***इसलिए…सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग से निवेदन है कि --- तुरंत कानून लाकर कुछ भी मुफ्त देने पर रोक लगाई जाए ताकि देश के नागरिक निकम्मे और आलसी न बनें।हमेशा मुफ्त की चीजों पर निर्भर ना रहें। आने वाली पीढ़ी को मुफ्तखोरी की आदत न रहे। मुफ्तखोरी की आदत देश, समाज के लिए नुकसान दायक है।पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी कहा करते थे कि -- जनता को सिर्फ न्याय, शिक्षा और चिकित्सा के अलावा कुछ और मुफ्त में नहीं मिलनी चाहिए… तभी देश का विकास संभव है।इसलिए सर्वोच्च न्यायालय से मुफ्त की चीजों को बांटने के बारे में मेरी राय है --यह मेरे निजी विचार हैं। किसी एक राजनैतिक दल से संबंधित नहीं है।चित्र -- सभी चित्र गूगल से साभार प्राप्त🙏 जय हिन्द 🇮🇳बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम
इस सवाल को देखकर मुझे एक ऐसा धंधा याद आया जो आजकल हम अपने देश में चारों हर दो चार महीने में देखते हैं— वोट के लालच में जनता को मुफ्त की वस्तुएं बांटने की प्रतियोगिता—-
जी हाँ मैं चुनाव के समय विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा जनता को लुभाने के लिए डाला गया हरा हरा चारा की बात कह रहीं हूं जो आजकल भारत में सबसे बड़ा धंधा बन गया है—
***सर्वोत्तम न्यायपालिका ( सुप्रीम कोर्ट) से विनम्र निवेदन🙏 ****—
आजकल चुनाव आते ही चारों ओर शोर सुनाए देते हैं…📣📣
📣📣
- तुम हमें वोट दो 👍, हम तुम्हें
- लैपटॉप देंगे 💻
- साइकिल देंगे🚲
- स्कूटी देंगे🛵
- मुफ्त की बिजली देंगे 📈
- कर्जा माफ़ कर देंगे ….₹₹….
ये देंगे वो देंगे …..
- क्या ये खुल्लमखुल्ला रिश्वत नहीं है ?🤔
- क्या इससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित नहीं बाधित नहीं होती ?🤔
- क्या इन सबसे निष्पक्ष चुनाव परिणाम मिल सकते हैं?🤔
- क्या सच में हमारे देश में कोई चुनाव आयोग है?🤔
- क्या चुनाव आयोग की कोई गाइड लाइंस है या नहीं?🤔
- क्या राजनैतिक दल वोट के लिए कुछ भी प्रलोभन दे सकते हैं?🤔
- ये जनता की गाढी कमाई का पैसा है …इसकी जवाबदेही होनी चाहिए,
रोक दीजिए वर्ना बंद कीजिए ये चुनाव के नाटक…और मतदान…
हम मध्यमवर्गीय तंग आ गए हैं, क्या हम इन सबके लिए टैक्स चुकाते हैं?🙄
- डिफाल्टर की कर्ज माफ़ी..मुफ्त की स्कूटी..
- मुफ्त की बिजली.. मुफ्त का घर
- दो रुपये किलो गेंहू, .. एक रुपये ये किलो चावल.., चार किलो दाल ….
- कोई तो मुफ्त की दारू 🍺की बात भी करता है..😤
और कितना चुसोगे टैक्स दाताओं को? 😤😤
गरीब लोग थोक में अच्छा वोट बैंक है.. इसलिए
मुफ्त का खाना🍛, घर🏡, बिजली 🏙️, कर्जा दिए जा रहे हैं..🙄
लेकिन बाकी लोग किस बात की सजा भोगें?🙊
जबकि हमारे टैक्स से सर्वज़नहिताय काम होना चाहिए…🤘
- देश के विकास का काम हों ..
- रेल मार्ग बने, सड़कें, पुल हों..
- रोजगारोन्मुखी कारखाने लगाए जाएं…
- विकास की फसल लहलहाती हों…
तो सभी को टैक्स देना अच्छा लगेगा…
लेकिन राजनैतिक दल जो जनता को मुफ्त देने की घोषणा📣 करते हैं ….
यानि आप लोग तो जनता के एक बड़े हिस्से को हमेशा के लिए गरीब रखना चाहते हो।
उसके लिए रोजगार सृजन का अनुकूल वातावरण बनाने के स्थान पर तथाकथित सोशल वेलफेयर की खैराती योजनाओं के माध्यम से अपना अनवरत, अक्षुण्ण वोट बैंक स्थापित करना चाहते हो। 😤😤
***इसलिए…
सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग से निवेदन है कि --- तुरंत कानून लाकर कुछ भी मुफ्त देने पर रोक लगाई जाए ताकि देश के नागरिक निकम्मे और आलसी न बनें।
हमेशा मुफ्त की चीजों पर निर्भर ना रहें। आने वाली पीढ़ी को मुफ्तखोरी की आदत न रहे। मुफ्तखोरी की आदत देश, समाज के लिए नुकसान दायक है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी कहा करते थे कि -- जनता को सिर्फ न्याय, शिक्षा और चिकित्सा के अलावा कुछ और मुफ्त में नहीं मिलनी चाहिए… तभी देश का विकास संभव है।
इसलिए सर्वोच्च न्यायालय से मुफ्त की चीजों को बांटने के बारे में मेरी राय है --
यह मेरे निजी विचार हैं। किसी एक राजनैतिक दल से संबंधित नहीं है।
चित्र -- सभी चित्र गूगल से साभार प्राप्त
🙏 जय हिन्द 🇮🇳
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