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जय श्री माता दी 🙏❤️ ‼️🔱༺꧁ #जय_मां_ #महागौरी ꧂༻🔱‼️ दरबार के सभी 🔱🎪 प्रभु भक्तों को दुर्गा अष्टमी की 🔱🎪 हार्दिक शुभकामनाएं🎪🔱 ⚜▬▬▬▬▬▬॥🕉॥▬▬▬▬▬▬⚜ ‼️या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता‼️ ‼️नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः‼️ ⚜▬▬▬▬▬▬॥🐯॥▬▬▬▬▬▬⚜ ༺꧁ #ॐ_देवी_ #महागौरी_नमः꧂༻ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 #काश_हर_सुबह___ #नवरात्र_सी___होती...!! #हर___किसी___की___नज़र___मे___बेटियां #देवी_______सी_______होती...!!! 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 महागौरी पूजा दुर्गा अष्टमी एवम् कन्या पूजन कि ढेरों शुभकामनाएं माता रानी की कृपा आप और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहे। 🙏🌺🔱🚩 🌹🙏 #जय_माता_दी 🙏🏻🌹 #राम_नवमी_30_मार्च_2023_को_है:- 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹 इस साल राम नवमी बहुत खास मानी जा रही है, क्योंकि राम नवमी के दिन कई दुर्लभ योग बन रहे हैं. जानते हैं राम नवमी पर पूजा का मुहूर्त और शुभ योग, उपाय, राम नवमी पर बन रहे हैं 5 अति दुर्लभ योग, जानें डेट, पूजा का मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. ये चैत्र नवरात्रि का नौवां और आखिरी दिन होता है. इस दिन राम मंदिर श्रीराम का भव्य श्रृंगार होता है. रामलला के जन्म के वक्त विधि विधान से पूजा की जाती है और ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं. इस साल राम नवमी बहुत खास मानी जा रही है, क्योंकि राम नवमी के दिन कई दुर्लभ योग बन रहे हैं जिससे इस दिन का महत्व बढ़ गया है. आइए जानते हैं राम नवमी पर पूजा का मुहूर्त और शुभ योग. #राम_नवमी_शुभ_मुहूर्त:- 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹 पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 29 मार्च 2023 को रात 09 बजकर 07 मिनट पर आरंभ हो रही है. नवमी तिथि की समाप्ति 30 मार्च 2023 को रात 11 बजकर 30 मिनट पर होगी. #राम_लला_की_पूजा_का_मुहूर्त:- 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹 सुबह 11:17 - दोपहर 01:46 (अवधि 02 घण्टे 28 मिनट्स) अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12.01 - दोपहर 12.51 #राम_नवमी_शुभ_योग:- 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹 राम नवमी पर इस बार 5 शुभ योग गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरुवार का संयोग बन रहा है. राम नवमी के दिन इन पांचों योग के होने से श्रीराम की पूजा का शीघ्र फल मिलेगा साथ ही इस दिन किए तमाम कार्यों में सिद्धि और सफलता प्राप्त होगी. #गुरु पुष्य योग:- 30 मार्च 10.59 - 31 मार्च सुबह 06.13 #अमृत_सिद्धि_योग:- 30 मार्च, 10.59 - 31 मार्च,सुबह 06.13 #सर्वार्थ_सिद्धि_योग_पूरे_दिन #रवि_योग_पूरे_दिन गुरुवार श्रीराम भगवान विष्णु के 7वें अवतार हैं और गुरुवार का दिन विष्णु जी को अति प्रिय है. ऐसे में राम जन्मोत्सव गुरुवार के दिन होने से इसका महत्व और बढ़ गया है। #राम_नवमी_के_दिन_क्या_करें:- 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹 राम नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में नभगवान श्रीराम का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें. फिर घर में रामायण का पाठ करें. कहते हैं जहां रामायण पाठ होता है वहां श्रीराम और हनुमान जी वास रहता है. इससे घर में खुशहाली आती है. धन वैभव की वृद्धि होती है. रामनवमी के दिन एक कटोरी में गंगा जल राम रक्षा मंत्र 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं रामचन्द्राय श्रीं नम:' का जाप 108 बार करें. अब घर के हर कोने-छत पर इसका छिड़काव करें. मान्यता है इससे घर का वास्तु दोष दूर होता है, टोने-टोटके का असर नहीं रहता है. ____________(((((#Vnita)))))_______🔻🔺🔻🔺🔻 @everyone 🙏🙏❤️

जय श्री माता दी 🙏❤️ ‼️🔱༺꧁ #जय_मां_ #महागौरी ꧂༻🔱‼️                   दरबार के सभी 🔱🎪 प्रभु भक्तों को दुर्गा अष्टमी की    🔱🎪 हार्दिक शुभकामनाएं🎪🔱 ⚜▬▬▬▬▬▬॥🕉॥▬▬▬▬▬▬⚜ ‼️या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता‼️ ‼️नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः‼️ ⚜▬▬▬▬▬▬॥🐯॥▬▬▬▬▬▬⚜     ༺꧁ #ॐ_देवी_ #महागौरी_नमः꧂༻ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 #काश_हर_सुबह___ #नवरात्र_सी___होती...!!  #हर___किसी___की___नज़र___मे___बेटियां  #देवी_______सी_______होती...!!! 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 महागौरी पूजा दुर्गा अष्टमी एवम् कन्या पूजन कि ढेरों शुभकामनाएं माता रानी की कृपा आप और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहे। 🙏🌺🔱🚩            🌹🙏 #जय_माता_दी 🙏🏻🌹 #राम_नवमी_30_मार्च_2023_को_है:- 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹 इस साल राम नवमी बहुत खास मानी जा रही है, क्योंकि राम नवमी के दिन कई दुर्लभ योग बन रहे हैं. जानते हैं राम नवमी पर पूजा का मुहूर्त और शुभ योग, उपाय, राम नवमी पर बन रहे हैं 5 अति दुर्लभ योग, जानें...

कौन कौन सी तकनीके हैं, जो केवल भारत के पास है? By वनिता कासनियां पंजाब द्वारा आज के प्रगतिशील देश तकनीक के माध्यम से एक दूसरे से इतने बेहतर तरीके से जुड़े हुये है, की ऐसा बहुत कम देखने मे आता है की किसी देश ने कोई तकनीक विकसित की और वो सिर्फ उस देश तक ही सीमित रह जाये। लंबी अवधि के व्यापक आर्थिक विकास के लिए नई तकनीक को अपनाना आवश्यक है। इसीलिए कोई भी विकसित देश नहीं चाहेगा कि तकनीके सिर्फ उसी के पास रहें। वो ज्यादा से ज्यादा इसे दूसरे देशो में फैलाकर इससे लाभ लेने के चक्कर मे रहता है। ऐसा सिर्फ सैन्य ताकतो के मामलो मे ही होता है जब कोई देश अपने देश की सुरक्षा के लिए ऐसी तकनीकों का निर्माण करे, जो और किसी के पास ना हो। और अपने देश भारत मे तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई तकनीक विकसित हुई हो, और उसे हमने छुपा कर रखा हो। इसका कारण दुनियाँ मे अपना सिक्का जमाना या पैसा कमाना नहीं है, बल्कि भारतीयों मे नरमदिली का होना है। पुरातन काल से ही भारतीय वैज्ञानिकों और अन्वेषणकर्ताओं ने अपने आविष्कारों, खोजो और नीतियों को मुफ्त मे पूरी दुनियाँ मे यूँ ही बाँटा है। सारे देश के वैज्ञानिक कहाँ अपने द्वारा की गयी खोजो को पेटेंट कराकर अधिक से अधिक लाभ लेने के चक्कर मे रहते है, और कहाँ अपने देश के लोग किसी खोज को बिना पेटेंट कराये पूरी दुनिया की भलाई के लिए इन तकनीकों का श्रेय भी नहीं लेते है। ऐसे कई उदाहरण है, जब भारतीयो के आविष्कार बिना किसी लाभ के पूरी दुनिया के काम आए। कुछ उदाहरण देता हूँ- ☞ आप सभी ने यूएसबी (usb) को तो देखा ही होगा। चार्जर, माऊस, कीबोर्ड से लेकर बड़े बड़े गैजेट्स मे इसकी कितनी उपयोगिता ही, ये शायद मुझे बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन एक बात मुझे बताने की जरूरत पड़े कि, क्या आप जानते है कि इसका आविष्कार एक भारतीय-अमेरिकी कंप्यूटर आर्किटेक्ट अजय भट्ट ने किया था। वे चाहते तो अपने इस काम को पेटेंट कराकर करोड़ो मे रुपये कमाते या फिर ये तकनीक सिर्फ भारतीय कंपनियो तक सीमित रखते, लेकिन उन्होने टीम वर्क का बहाना बनाकर इसे मुफ्त मे पूरी दुनिया को इस्तेमाल करने के लिए छोड़ दिया। आप खुद ही सोचिए की करीब 10 मिलियन यूएसबी इस वक़्त पूरी दुनिया मे आपरेशनल है। ☞ दूसरी बात हम योग पर आते है। भारत योग कला की तकनीक का व्यवसायीकरण करके सिर्फ इसे भारत में ही सीमित रखता? ☞ तीसरी बात हम शल्य चिकित्सा पर आते है। क्या होता अगर विश्व के प्रथम सर्जन सुश्रुत ने दुनियाभर से आए डाक्टरों के साथ ये तकनीक साझा करने से मना कर दिया होता। भारत मे सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है, जिनहोने विश्व में पहली बार प्लास्टिक सर्जरी, राइनोप्लास्टिक सर्जरी और कैटेरेक्ट सर्जरी की थी, वो भी बिना किसी आधुनिक मशीनों के कई सौ सालो पहले। फिर यूरोपियन और बाकी जगहो के चिकित्सको ने उनके पास इस तरीके को सीखने के लिए आना शुरू कर दिया। सुश्रुत ने कभी भी किसी को निराश नहीं किया। सोच कर ही देखिये की आज विश्व की मेडिकल साइन्स भारत से कितनी पीछे होती अगर इस तकनीक का सिर्फ भारत मे ही इस्तेमाल होता? आप बेहतर कल्पना कर सकते है। तो आप ये बात तो असंभव ही समझिए की कोई तकनीक सिर्फ भारत मे ही रह जाये। आप चाहे तो इस बात से मूल्यांकन कर सकते है कौन सी तकनीके सबसे पहले सिर्फ भारतीयो द्वारा विकसित की गयी थी। समय भी लगेगा और दिमाग भी खर्च होगा, तो चलिये शुरु से शुरू करते है और ऐसी ही कुछ खोजो के बारे मे विस्तार से जानते है जो सिर्फ भारत मे ही हुई है। ✦ ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos missile) इस मिसाइल का निर्माण भारत मे हुआ है और फिलहाल इसका उपयोग सिर्फ भारत मे ही है। ब्रह्मोस एक मध्यम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जहाजों, विमानों या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ (भारतीय सरकारी संस्था) ने रूस के साथ मिलकर बनाया है। इस मिसाइल मे उपयोग होने वाली तकनीक का इस्तेमाल इस वक़्त सिर्फ भारत की ही सेनाओ द्वारा हो रहा है। ब्रह्मोस नाम दो नदियों, भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम से बना है।ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति लगभग 3,450 किमी प्रति घंटे या 2,148 मील प्रति घंटे है। ✦ लिविंग रूट ब्रिज (Living Root Bridge) दुनिया भर में कई ऐसे पुल हैं जो इंसानों की बेहतरीन संरचनाओ मे से माने जाते हैं! लेकिन भारत के मेघालय में लिविंग रूट ब्रिज को कुदरत और इंसान की बेहतरीन जुगलबंदी का बेहतरीन नमूना माना जाता है। ये पुल ज़िंदा पेड़ की मोटी और उलझी हुई जड़ो से बनाए जाते है। वे रबर और अंजीर के पेड़ की जड़ों से हस्तनिर्मित हैं। जिस पेड़ से यह बनता है, जब तक वह स्वस्थ रहता है, पुल में जड़ें स्वाभाविक रूप से मोटी और मजबूत होती जाती हैं। बताइये आपने कहीं सुनी है पूरी दुनिया मे ऐसी तकनीक जिससे हम पेड़ो की जड़ो को जहां चाहे मोड़ सकते है। इसे बनाने की तकनीक काफी पुरानी है और ये सिर्फ भारत के प्रशिक्षित खासी और जयंतिया जनजातियों द्वारा ही बनाए जाते है। पर्यावरण के मामले मे ये भारत की एक और उपलब्धि है जिस पर भारत गर्व कर सकता है, और इस बात पर भी, कि ऐसा सिर्फ भारत में होता है। ✦ भारतीय मार्स ओर्बिटर आप में से अधिकतर को ये पता होगा की भारत मंगल पर ओर्बिटर भेजने वाला दुनिया का चौथा देश है। और अपने पहले ही प्रयास मे मंगल तक पहुँचने वाला दुनिया का एकमात्र देश है। ये ऐसी उपलब्धि है जिस पर पूरा भारत इसरो पर गर्व कर सकता है। तो आखिर कौन सी ऐसी खास तकनीक थी हमारे ओर्बिटर में ? दरअसल भारत के पास इतना ताकतवर रॉकेट नहीं था, जो ओर्बिटर को सीधे ही मंगल की कक्षा मे पहुँचा दे लेकिन भारत ने ऐसी तकनीक अपनाइ कि मार्स मिशन का बजट हॉलीवुड की कई फिल्मों से भी सस्ता हो गया। उनमे से कुछ मुख्य है; ओर्बिटर को सीधे मार्स कि कक्षा मे पहुंचाने के बजाय विभिन्न ग्रहो कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति का उपयोग ओर्बिटर को गति प्रदान करने के लिए किया गया। MOM के प्रोब ने पृथ्वी की कक्षा में लगभग एक महीने का समय बिताया, जहां 30 नवंबर 2013 को मंगल की कक्षा मे जाने के लिए आखिरी इंजेक्शन से पहले सात अपभू-उठाने वाले कक्षीय युद्धाभ्यासों को एक सीरीज मे लांच किया गया। मंगल ग्रह पर 298 दिनों के पारगमन के बाद, इसे 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में स्थापित किया गया था। ओर्बिटर को हल्का बनाने के लिए उसके कई फ्रेमों मे भारत मे निर्मित स्टील से भी हल्के संरचनाओं (एल्यूमिनियम और CFRP- विशेष प्रकार का प्लास्टिक फ़ाइबर) का निर्माण किया गया था। और ऐसा पहली बार सिर्फ भारत मे ही किया गया था। इसे कहते है सही मायनों में आपदा में अवसर तलाशना। ये सब आविष्कार तो ऐसे है जिनके बारे मे अधिकतर जानते है। लेकिन कुछ तकनीकों के बारे में अभी तक खुद कई भारतीयों को ही नहीं पता है। ऐसे सैकड़ो उदाहरण आप भारत के प्राचीन मंदिरों मे देख सकते है। मैं सबके बारे में लिखने बैठ जाऊ तो कई दिन लग जाएँगे। विदेशी पुरातत्वविदों ने इन रचनाओं को कोरी सजावट का सामान ही बताया है। उनके अनुसार ये सब सिर्फ किसी धार्मिक अंधविश्वास पर ही बनाए गए थे। लेकिन हाल मे हुई कुछ खोजो के आधार पर ये पूरी तरह वैज्ञानिक है और भारत के सारे मंदिरो के एक भी मूर्ति बिना वजह नहीं है, और कोरे अंधविश्वास पर तो बिलकुल नहीं। भारत के प्राचीन लेखो मे आग लगाकर इन्हे सिर्फ अध्यात्म से ही जोड़ा गया है, जो काफी दुखद है। ये खोज दुनिया मे इतने प्रसिद्ध हुए ही नहीं, सिर्फ विश्व के कुछ कागजी रिकार्डों मे इनका नाम दर्ज़ कर हमें वैश्विक संस्थाओं द्वारा केवल लोलीपोप दिखाया गया है। गलती से भी ऐसे मंदिरों के बारे मे कुछ जानने के लिए विकिपीडिया जैसे साइटों पर आँख मूंदकर भरोसा मत कीजिएगा। इनके पास भी ऐसी कई भ्रामक जानकारियाँ है इन मंदिरों के लिए। भारतीय सरकार और पुरातत्वविदों से कुछ उम्मीद ही करना बेकार है। मीडिया जैसे जागरूकता फैलाने वाले संस्थान तो बॉलीवुड मसाला, राजनीति की गरमागरम बहस और सांप्रदायिक मुद्दो से टीआरपी बनाने मे इतने व्यस्त है की वे भी इसे तभी दिखते है जब इनके पास न्यूज़ की कमी हो। एक कारण यह भी हो सकता है की हमारे पास इन खोजो के बारे मे रिसर्च करने से भी बड़ी समस्याएँ है, जिससे ये मुद्दे कहीं कोने मे दब से जाते है। आप सोच भी नहीं सकते की यदि ऐसी अद्भुत तकनीके किसी और विकसित देश मे होती तो वो अब तक इनको कितने बड़े रिसर्च सेंटर और पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित कर देता! ऐसे ही कुछ मंदिरो और इनमे इस्तेमाल हुये खास तकनीकों के बारे में हम यहाँ जानेंगे जो विश्व मे और कहीं नहीं पाये जाते है, और इनको बनाने की तकनीक की खोज अभी बाकी है। ✦ पत्थरो मे संगीत 🎶 भारत में संगीत का इतिहास काफी पुराना रहा है। वाद्ययंत्रों में और संगीत में जो कला भारतीयों ने हासिल की है, वो बेजोड़ है। कुछ दक्षिण-भारतीय मंदिरों में तो ऐसे पत्थर के खंभो का निर्माण किया गया है जो संगीत के अलग अलग त्वरण वाली ध्वनियाँ उत्पन्न करते है। आइये, आपको इसी विशेषता वाले कुछ मंदिरों की सैर कराता हूँ। ✧हम्पी हम्पी भारत में एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान है। यह कर्नाटक में स्थित है, जो भारत का एक दक्षिण-पश्चिमी प्रांत है। यह राज्य की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 350 किमी उत्तर में स्थित है। हम्पी के खंडहर, जैसा कि आज भी जाना जाता है, इतिहास, वास्तुकला और धर्म का एक विशाल संग्रहालय है। यह 25 वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है और यहाँ मंदिरों, महलों, बाजार की सड़कों, किलेबंदी, जलीय संरचनाओं और प्राचीन स्मारकों की बहुतायत है। हम्पी में विजया विट्ठल मंदिर में 56 संगीत स्तंभ हैं जिन्हें सारेगामा स्तंभ भी कहा जाता है। सा, रे, गा, मा, सात संगीत नोटों में से चार हैं। अंगूठे से टकराने पर ये स्तंभ संगीतमय स्वर उत्पन्न करते हैं। ऐसा लगता है जैसे घंटी बज रही हो। इन स्तंभों के भूवैज्ञानिक विश्लेषण से पता चलता है कि चट्टानें न केवल धात्विक अयस्क की उपस्थिति के कारण बल्कि बड़ी मात्रा में सिलिका के कारण भी इस तरह गुंजयमान हैं। ✧ श्री विजया विट्ठल मंदिर संगीत के स्तंभों को हिंदू कला की अनूठी स्थापत्य कलाओं में से एक माना जाता है। मूर्तिकारों ने अपने मूर्तिकला के साथ-साथ संगीत कौशल का भी उनमें निवेश किया है। श्री विजया विट्ठल मंदिर १५वीं शताब्दी में बनाया गया था जिसमें ५६ संगीत स्तंभ हैं। ✧ नेल्लईअप्पर मंदिर तिरुनेलवेली के नेल्लईअप्पर मंदिर में, 4 संगीत स्तंभ हैं। उनके पास एक केंद्रीय स्तंभ है जिसके चारों ओर अलग-अलग चौड़ाई के 48 छोटे बेलनाकार स्तंभ हैं। जब उन्हें किसी चीज़ से टैप किया जाता है तो वे अलग-अलग आवाजें देते हैं। आप लोगो में से कई लोग अलग अलग देशों मे जा चुके होंगे और वहाँ की कई प्रसिद्ध चीज़ों को भी देखा होगा, लेकिन ऐसे विशाल पत्थर के खंभो मे कभी संगीत के सुरों का समागम देखा है? ये तकनीक यकीनन सिर्फ भारतीयो के पास ही थी। यहीं नहीं, कई मंदिरो मे पत्थरों की चैन भी बनाई गयी है, जो आज की तकनीक के हिसाब से बिना पत्थरो के पिघलाए नामुमकिन है। कई मंदिरों के गहन विश्लेषण और स्थानीय लेखो को पढ़ने के बाद ये साबित हो चुका है कि सिर्फ भारतीयों के पास ही इस तरह के प्त्थरो को पिघलाने कि तकनीक थी। इतिहास मे और गहराई तक जाएंगे तो और भी कई ऐसे आविष्कार और है जिनकी उत्पत्ति और उत्पादन यदि भारत तक ही सीमित होती तो निश्चय ही दुनिया थोड़ी कम विकसित होती। वनिता कासनियां पंजाब 🌹🙏🙏🌹 आशा करती हूँ की आप सभी को ये प्रयास पसंद आया होगा। लेख लिखने में समय तो लगा पर कुछ शिक्षाप्रद लिख कर अच्छा लग रहा है। इतने लंबे लेख को पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद! माना, की अपने भारत मे समस्याए थोड़ी ज्यादा है, लेकिन आश्चर्य और गर्व करने लायक बातें तो उससे भी ज्यादा है। जैसा भी है, हमारा देश हमें बहुत प्यारा है... जय हिन्द, जय भारत !

    कौन कौन सी तकनीके हैं, जो केवल भारत के पास है? By वनिता कासनियां पंजाब द्वारा आज के प्रगतिशील देश तकनीक के माध्यम से एक दूसरे से इतने बेहतर तरीके से जुड़े हुये है, की ऐसा बहुत कम देखने मे आता है की किसी देश ने कोई तकनीक विकसित की और वो सिर्फ उस देश तक ही सीमित रह जाये। लंबी अवधि के व्यापक आर्थिक विकास के लिए नई तकनीक को अपनाना आवश्यक है। इसीलिए कोई भी विकसित देश नहीं चाहेगा कि तकनीके सिर्फ उसी के पास रहें। वो ज्यादा से ज्यादा इसे दूसरे देशो में फैलाकर इससे लाभ लेने के चक्कर मे रहता है। ऐसा सिर्फ सैन्य ताकतो के मामलो मे ही होता है जब कोई देश अपने देश की सुरक्षा के लिए ऐसी तकनीकों का निर्माण करे, जो और किसी के पास ना हो। और अपने देश भारत मे तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई तकनीक विकसित हुई हो, और उसे हमने छुपा कर रखा हो। इसका कारण दुनियाँ मे अपना सिक्का जमाना या पैसा कमाना नहीं है, बल्कि भारतीयों मे नरमदिली का होना है। पुरातन काल से ही भारतीय वैज्ञानिकों और अन्वेषणकर्ताओं ने अपने आविष्कारों, खोजो और नीतियों को मुफ्त मे पूरी दुनियाँ मे यूँ ही बाँटा है । सारे देश के वैज्ञानिक कहाँ...

Baluwana Punjab News: पंजाब में जीएसटी संग्रह में 22.6% की वृद्धि, 6 महीने में पार किया 10 हजार करोड़ का आंकड़ाबलुवाना न्यूज पंजाबमुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमाNEXTPREVPunjab GST News: पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य ने चालू वित्तीय साल के दौरान 10604 करोड़ रुपये जीएसटी के तौर पर वसूले हैं जिससे राज्य की तरफ से जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार छह महीनों में 10 हज़ार का आंकड़ा पार किया गया है. यहां जारी एक बयान में वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य में चालू वित्तीय साल के दौरान जीएसटी संग्रह में 22.6 % की वृद्धि दर्ज की गई है.उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय साल के पहले छह महीने में 8,650 करोड़ रुपये की जीएसटी संग्रह हुआ थी जबकि मौजूदा साल के दौरान राज्य ने कुल 10604 करोड़ रुपये की जीएसटी संग्रह के साथ 1,954 करोड़ रुपये और कमाए हैं. सितंबर 2022 के जीएसटी के आंकड़ों का खुलासा करते हुये हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य ने 22 % वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि सितंबर 2021 में 1402 रुपये की कलेक्शन के मुकाबले इस साल सितंबर में जीएसटी कलेक्शन 1,710 करोड़ रुपये रही.20,550 करोड़ रुपये की जीएसटी संग्रह का अनुमानवित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने वित्तीय साल 2022-23 के लिए अपने पहले बजट में 20,550 करोड़ रुपये की जीएसटी संग्रह का अनुमान लगाया है. वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य ने पहले छह महीनों में 50 % से अधिक की प्राप्ति की है और आने वाले त्योहारों के सीजन के दौरान जीएसटी की संग्रह में अच्छे वृद्धि की उम्मीद है.वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जाली बिलिंग को रोकने के साथ-साथ सभी ख़ामियों को दूर करने के लिए पंजाब गुड्स एंड सर्विसिज टैक्स (संशोधन) बिल 2022 पंजाब विधान सभा में पास किया है, जिससे न सिर्फ़ व्यापारियों को फ़ायदा होगा बल्कि राज्य के राजस्व में भी वृद्धि होगा.

Baluwana Punjab News: पंजाब में जीएसटी संग्रह में 22.6% की वृद्धि, 6 महीने में पार किया 10 हजार करोड़ का आंकड़ा बलुवाना न्यूज पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा NEXTPREV Punjab GST News: पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य ने चालू वित्तीय साल के दौरान 10604 करोड़ रुपये जीएसटी के तौर पर वसूले हैं जिससे राज्य की तरफ से जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार छह महीनों में 10 हज़ार का आंकड़ा पार किया गया है. यहां जारी एक बयान में वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य में चालू वित्तीय साल के दौरान जीएसटी संग्रह में 22.6 % की वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय साल के पहले छह महीने में 8,650 करोड़ रुपये की जीएसटी संग्रह हुआ थी जबकि मौजूदा साल के दौरान राज्य ने कुल 10604 करोड़ रुपये की जीएसटी संग्रह के साथ 1,954 करोड़ रुपये और कमाए हैं. सितंबर 2022 के जीएसटी के आंकड़ों का खुलासा करते हुये हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य ने 22 % वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि सितंबर 2021 में 1402 रुपये की कलेक्शन के ...

सबसे अच्छे काम करने वाली और एक ईमानदार पार्टीदिल्ली एमसीडी चुनाव: आम आदमी पार्टी की जीत के मायने क्या हैं? अपडेटेड 4 घंटे पहले By आम आदमी पार्टीआप सभी को दिल्ली एम,सी,डीमें*आप की जीत* कीबहुत बहुत मुबारक दिल्ली के सूझवान लोगों नेअपनी समझदारी दिखाते हुएअपने लिएसबसे अच्छे काम करने वाली और एक ईमानदार पार्टी आप,को हीअपनी एम,सी,डी के लिए भी चुनाऔर पूरे देश के सामने एक उधारण सेट कियाकि हम दिल्ली के लोगइधर उधर की बाते नहीं दिखते हम लोग तो अपने लिए बेहतर काम करने वालो को ही चुनते हैं ।*दिल्ली के लोगों की समझ की भी पूरी भूरी प्रशंसा* 💐🌹💐✌️✌️✌️💪💪आप, जिंदाबादBunita Deviआम आदमी पार्टीइमेज स्रहजारों करोड़ रुपये बजट वाली दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पार्टी ने अपना झंडा लहरा दिया है. 15 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी को अरविंद केजरीवाल ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.दिल्ली एमसीडी में 'आप' की यह जीत पार्टी के लिए कई संभावनाओं, उम्मीदों के रास्ते खोल रही है तो वहीं चुनौतियों को भी आमंत्रण दे रही है, लेकिन ये चुनौतियां क्या हैं और इस जीत के अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए क्या मायने हैं?क्या अरविंद केजरीवाल को अब दिल्ली की सत्ता से हटाना मुश्किल हो गया है? क्या वे साल 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को टक्कर दे सकते हैं?क्या वे विपक्ष को एकजुट कर सकते हैं? क्या संघर्ष, टकराव और स्थानीय मुद्दों से चुनाव जीते जा सकते हैं? इन सब सवालों के साथ बीजेपी के लिए ये हार कितनी बड़ी है इस पर भी बात करेंगे.सबसे पहले एमसीडी चुनाव में बात नतीजों की.दिल्ली एमसीडी के एकीकरण के बाद पहली बार चुनाव हुए. इससे पहले ये तीन हिस्से - नॉर्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और ईस्ट दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में बंटे हुई थी.इस साल मार्च महीने में केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली एमसीडी के एकीकरण पर मुहर लगाई थी.एकीकरण के बाद वार्डों की संख्या 272 से घटकर 250 कर दी गई. इसमें आम आदमी पार्टी को 134, बीजेपी को 104, कांग्रेस को 9 सीट मिली हैं.अरविंद केजरीवाल की जीत के पांच फैक्टरछोड़कर पॉडकसमाप्त हेमंत कहते हैं, "चुनाव में बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों पर बात नहीं की, जिससे उसे नुकसान हुआ. इसके बदले बीजेपी ने चुनाव में सत्येंद्र जैन को जेल के अंदर सेवाएं देने का मुद्दा बनाया, शराब घोटाले का आरोप लगाया, मनीष सिसोदिया का नाम उछाला.""दिल्ली एमसीडी में 15 साल से बीजेपी थी, उन्होंने अपनी उपलब्धियों को नहीं बताया, उसे मुद्दा नहीं बनाया, क्योंकि उनका काम अच्छा नहीं रहा, इसका फायदा आप पार्टी को मिला."यही बात सीनियर हर्षित kasnia भी कहते हैं. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "दिल्ली में गंदगी को आम आदमी पार्टी ने एक बड़ा मुद्दा बनाया. वे कहते हैं, "लोगों ने गंदगी को लेकर बीजेपी के खिलाफ तो वोट नहीं किया लेकिन उनके पक्ष में भी वोट नहीं करने गए, जिसका नुकसान बीजेपी को हुआ."दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है. वरिष्ठ पत्रकार हर्षित कसनिया के मुताबिक इस बार लोगों ने इसे भी ध्यान में रखा है.वे कहते हैं, "आम आदमी समझता है कि केजरीवाल को अगर सरकार सौंप दी है तो एमसीडी भी एक बार सौंप कर देखी जाए, ताकि स्थानीय मुद्दे जल्दी से सुलझ पाएं."लोगों से कनेक्ट भी अरविंद केजरीवाल के लिए जीत की वजह बना है. कृष्ण मोहन शर्मा कहते हैं, "बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी, हंसराज हंस और मीनाक्षी लेखी के लोकसभा क्षेत्रों में बीजेपी को नुकसान हुआ है वहीं इन जगहों पर आप पार्टी के नेताओं और विधायकों का लोगों से कनेक्ट अच्छा है जिसकी वजह से उन्हें अच्छी बढ़त हासिल हुई."कृष्ण मोहन शर्मा, दिल्ली एमसीडी में बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी और भ्रष्टाचार को भी एक बड़ी वजह मानते हैं.आप' की जीत के मायने क्या हैं?दिल्ली में तीन पावर सेंटर है. एमसीडी, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार.वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, "2017 एमसीडी चुनाव में बीजेपी को 39 प्रतिशत वोट मिले थे, पांच साल बाद भी उसमें कमी नहीं आई है, लेकिन सीटें जरूर कम हुई हैं. वहीं कांग्रेस का वोट शेयर करीब 21 प्रतिशत से घटकर करीब 11 प्रतिशत पर आ गया है, कांग्रेस का ये घटाव आम आदमी पार्टी में जाकर जुड़ा है."दिल्ली एमसीडी में जीत ने एक बड़ा संदेश देने का काम भी किया है. हेमंत अत्री कहते हैं कि आप पार्टी ने ये करके दिखाया है कि बीजेपी को हराया जा सकता है. अगर आप शिद्दत से चुनाव लड़े तो बीजेपी को हरा सकते हैं, लेकिन उसके लिए संगठित होकर एजेंडा पर बात करनी होगी.हेमंत अत्री कहते हैं, "केजरीवाल प्रधानमंत्री के दावेदार हो गए इस बात के कोई मायने नहीं हैं. 'आप' का लोकसभा में एक भी एमपी नहीं है. 'आप' की कैसे सरकार आ जाएगी. जहां कांग्रेस को हराने में बीजेपी सक्षम नहीं है, वहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस को खत्म करने के लिए जाती है. लोग अति उत्साह में ऐसा कह रहे हैं, लेकिन इसका कुछ मतलब नहीं है."ऐसी ही बात वरिष्ठ पत्रकार संदीप कहते हैं. उनका मानना है कि एमसीडी चुनाव और लोकसभा के चुनाव में जमीन आसमान का फर्क होता है. एमसीडी चुनाव गली-खड़ंजे पर लड़े जाते हैं वहीं लोकसभा चुनाव में केंद्र की सरकार और मोदी जी के प्रदर्शन को देखा जाएगा, ऐसी तुलना करना भी ठीक नहीं है."बीजेपी के इन नेताओं पर खतरादिल्ली में सभी सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, लेकिन कुछ सीटों पर एमसीडी चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. इनमें प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी, हंसराज हंस और मीनाक्षी लेखी का नाम शामिल है.वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण मोहन शर्मा बताते हैं, "नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी के क्षेत्र में 25 सीटें आती हैं, जिसमें से बीजेपी को सिर्फ 5 सीटें मिली हैं, वहीं आम आदमी पार्टी ने यहां से 20 सीटों पर जीत दर्ज की है."वेस्ट दिल्ली से प्रवेश वर्मा की सीट का भी यही हाल रहा. यहां 38 वार्ड में से 24 पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली वहीं बीजेपी के खाते में सिर्फ 13 सीटें आईं.इसके अलावा दक्षिणी दिल्ली से रमेश बिधूड़ी के इलाके में 37 में से बीजेपी को 13 और आप को 23 सीटें मिली हैं.उत्तर पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद हंसराज हंस की सीट पर एमसीडी के 43 वार्ड हैं, जिसमें बीजेपी को 14 सीट और आप को 27 सीट मिली हैं.

सबसे अच्छे काम करने वाली और एक ईमानदार पार्टी दिल्ली एमसीडी चुनाव: आम आदमी पार्टी की जीत के मायने क्या हैं? अपडेटेड 4 घंटे पहले By आम आदमी पार्टी आप सभी को दिल्ली एम,सी,डी में *आप की जीत* की बहुत बहुत मुबारक  दिल्ली के सूझवान लोगों ने अपनी समझदारी दिखाते हुए अपने लिए सबसे अच्छे काम करने वाली और एक ईमानदार पार्टी आप,को ही अपनी एम,सी,डी के लिए भी चुना और पूरे देश के सामने  एक उधारण सेट किया कि हम दिल्ली के लोग इधर उधर की बाते नहीं दिखते  हम लोग तो अपने लिए बेहतर काम करने वालो को ही चुनते हैं । *दिल्ली के लोगों की समझ की भी पूरी  भूरी प्रशंसा*  💐🌹💐 ✌️✌️✌️💪💪 आप, जिंदाबाद Bunita Devi इमेज स्र हजारों करोड़ रुपये बजट वाली दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पार्टी ने अपना झंडा लहरा दिया है. 15 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी को अरविंद केजरीवाल ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. दिल्ली एमसीडी में 'आप' की यह जीत पार्टी के लिए कई संभावनाओं, उम्मीदों के रास्ते खोल रही है तो वहीं चुनौतियों को भी आमंत्रण दे रही है, लेकिन ये चुनौतियां क्या हैं और इस जीत के अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार...

🌺🪴स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे 🪴🌺पेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |जब ब्लड में इन तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है तो यह किडनी में जमा होकर पत्थर के टुकड़ों का आकार ले लेती हैं जिसके कारण ब्लेंडर तक यूरिन पहुंचने में रुकावट होती है क्योकि किडनी में पथरी की समस्या पैदा हो जाती है By वनिता कासनियां पंजाबपेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |पेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |पेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |पेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |पेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |पेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |पेट में पथरी का घरेलु उपचार, आपरेशन की झंझट खत्म, हैरान हो जायेंगे ये उपचार जानकर |गलत खानपान की आदतों की वजह से या खराब लाइफस्टाइल के कारण शरीर को बीमारियां घेर लेती हैं इन्हीं में से एक है किडनी स्टोन | आज के समय में बड़ी संख्या में लोग पथरी की समस्या से जूझ रहे हैं इस दौरान पेट में होने वाला दर्द बर्दाश्त करना बहुत ही मुश्किल होता है अगर स्टोन नार्मल है तो यह यूरिन के जरिए आसानी से बाहर निकल जाता है लेकिन इनकी संख्या ज्यादा हो तो इनका शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है किडनी की छोटी पथरी को दवाओं और नेचुरल इलाज ओं की मदद से निकाला जा सकता है इसके लिए परहेज के साथ थोड़ी सी धैर्य की जरूरत होती हैयह भी पढ़े- जुकाम चुटकियों में गायब,जुकाम ठीक करने के घरेलु रामबाण उपाय कैसे बनती है पथरी-किडनी शरीर का एक अहम अंग है इसका काम ब्लड को फिल्टर करना होता है ब्लड फिल्टर के दौरान सोडियम कैल्शियम और अन्य दूसरे मिनरल्स बारी बारी कणों के रूप में यूरेटर के माध्यम से ब्लेंडर तक पहुंचते हैं जो पेशाब के जरिए बाहर निकल जाते हैं जब ब्लड में इन तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है तो यह किडनी में जमा होकर पत्थर के टुकड़ों का आकार ले लेती हैं जिसके कारण ब्लेंडर तक यूरिन पहुंचने में रुकावट होती है क्योकि किडनी में पथरी की समस्या पैदा हो जाती हैपथरी से राहत पाने के घरेलू उपचार पत्थरचट्टा-पत्थरचट्टा के पौधे का एक पत्ता ले और उसे मिश्री के कुछ दानों के साथ पीसकर खा ले | पत्थरचट्टा औषधि गुणों वाला एक पौधा होता है जिसका उपयोग किडनी और पेट से जुड़ी बीमारियों के इलाज में किया जाता है यह सदाबहार पौधा है जो भारत में खूब होता है किडनी में पथरी की समस्या के लिए भी पत्थरचट्टा सबसे ज्यादा कारगर माना जाता है नींबू का रस और जैतून का तेल-नींबू का रस पथरी को तोड़ने का काम करता है और जैतून का तेल उसे बाहर निकालने में मदद करता है एक गिलास पानी में एक नींबू का रस और थोड़ा सा जैतून का तेल डालें |इसको अच्छे से मिलाकर सेवन करें ऐसा करने से कुछ ही समय में पथरी निकल जाती हैपपीते की जड़-पथरी निकालने के लिए पपीते की जड़ भी काफी मदद करती है इसके लिए सात से आठ ग्राम पपीते की जड़ को पीस कर एक गिलास पानी में अच्छी तरह से गोले और अब रोजाना इस पानी का सेवन करें | ऐसा करने से पथरी गल जाएगी और कुछ ही दिनों में पथरी से छुटकारा मिल जाएगाइलायची मिश्री और खरबूजे के बीज-कुछ बड़ी इलायची के दानों को पीसकर पाउडर बनाएं फिर एक छोटे चम्मच पाउडर को एक गिलास पानी में मिक्स करें और इसमें एक छोटा चम्मच मिश्री और कुछ खरबूज के बीजो को डालकर रात भर भिगो दें और सुबह इसमें पड़ी चीजों को अच्छे से चबाकर खाएं और सारा पानी पी ले इसके सेवन से पथरी की समस्या से जल्द ही छुटकारा मिलता हैसेब का सिरका-सेब के सिरके में साइट्रिक एसिड होता है जो किडनी स्टोन को छोटे-छोटे कणों में काटने का काम करता है 2 छोटे चम्मच सिरके को गर्म पानी के साथ लेने से स्टोन की समस्या में काफी राहत मिल सकती हैअनार का जूस-,पथरी की समस्या से राहत पाने के लिए अनार एक बेहतर विकल्प है इसका जूस पीने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है और यह नेचुरल तरीके से किडनी स्टोन में राहत मिलती है दी हुई जानकारी आपको कैसी लगी अगर अच्छी लगी हो तो प्लीज कमेंट करें और अगर आपको भी स्वास्थ्य से संबंधित कोई परेशानी है तो आप हमसे शेयर कर सकते हैं धन्यवाद Home remedies for stone in stomach, the hassle of operation is over, you will be surprised to know these remedies.When the amount of these elements in the blood increases, it accumulates in the kidney and takes the shape of stone pieces, due to which

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